एक बार एक युवक शाम की सैर करने समुद्र तट पहुंचा। उसने देखा कि
कुछ दूरी पर एक शख्स झुक कर कुछ उठा रहा है और उसे पानी में फेंक रहा है। इस पर
युवक ने पास जाकर देखा तो पाया कि तेज लहरों से रेत पर आ गई मछलियों को वह वापस
पानी में फेंक रहा है।
युवक ने पूछा, 'इन मछलियों को पानी में क्यों फेंक रहे हैं?
आदमी बोला, 'ज्वार का पानी उतर रहा है और सूरज की गर्मी बढ़ रही है। अगर इन्हें पानी
नहीं मिला तो ये मर जाएंगी।'
यूवक ने देखा कि समुद्र तट पर दूर-दूर तक मछलियां पड़ी हैं। उसने पूछा, 'इस तट पर बहुत दूर तक न जाने कितनी मछलियां पड़ी हैं, इस तरह कुछ मछलियों को पानी में फेकने से क्या मिलेगा। इससे क्या फर्क पड़
जाएगा?
शख्स युवकी बात को अनसुना करते हुए फिर रेत पर झुका और एक और मछली
उठाकर पानी में फेंकते हुए
बोला, 'मुझे और दुनिया को इससे कुछ मिले या न मिले
लेकिन इस मछली को सब कुछ मिल जाएगा।'
इस कहानी का सार यह है कि किसी के किसी का काम उसकी सोच को झलकाता है। जब कोई सकारात्मक सोच से छोटे छोटे प्रयास करता है तो एक दिन जरूर दूसरों के लिए प्ररेणास्रोत बनता है। हमारे यहां प्रचलित कहावत- "बूंद बूंद से घड़ा भरता है।" शायद इसी कहानी का सार है।
यह केवल सोच का ही फर्क है| सकारात्मक सोच (Positive thoughts) वाले व्यक्ति को लगता है कि उसके छोटे छोटे प्रयासों से किसी को बहुत कुछ
मिल जायेगा लेकिन नकारात्मक सोच (Negative Thoughts) के
व्यक्ति को यही लगेगा कि, यह समय की बर्बादी है? दोस्तों यह हम पर है कि हम कौनसी कहावत पसंद करते है –
“अकेला चना भांड नहीं फोड़ सकता|”
या
“बूँद बूँद से ही घड़ा भरता है”
“अकेला चना भांड नहीं फोड़ सकता|”
या
“बूँद बूँद से ही घड़ा भरता है”
सोशल मीडिया से