क्रोध से भ्रम पैदा होता है. भ्रम से बुद्धि व्यग्र होती है. जब बुद्धि व्यग्र होती है, तब तर्क नष्ट हो जाता है. जब तर्क नष्ट होता है, तब व्यक्ति का पतन हो जाता है.