मूल्यों से कटे तो खो गई जीवन से लय

वाराणसी : विश्व दर्शन दिवस पर बुधवार को बीएचयू में दर्शन की महत्ता को जीवन से जोड़ने तथा मूल्यों के व्यवाहारिक रूपांतरण पर जोर दिया गया। वक्ताओं का कहना था कि मूल्यों का संकट खड़ा हो गया इसका दुष्परिणाम है कि जीवन की लय ही खो गई है। इस लय को पाने के लिए भारतीय मूल्यों को व्यवहारिक जीवन में ढालना होगा और इसी रास्ते देश के नवनिर्माण का मजबूत रास्ता बनेगा। तब इस मजबूत रास्ते में समाहित रहेंगे प्रेम, त्याग, अहिंसा आदि के भाव। वास्तव में ये भाव ही देश की आत्मा है।
दर्शन एवं धर्म विभाग में हुई संगोष्ठी में मुख्य अतिथि कला संकाय प्रमुख प्रो. एमएन राय ने कहा कि मूल्यों में आइ गिरावट के कारण जीवन से लय खो गई है। आज जरूरत है कि भारतीय मूल्यों को जीवन से जोड़ा जाए। मुख्य वक्ता प्रो. कमलाकर मिश्र ने कहा कि प्रकृति में मनुष्य जो परिवर्तन करता है वह संस्कृति है। परिवर्तन उद्देश्य आधारित होता है। ऋषियों ने नैतिक व आध्यात्मिक मूल्यों के साथ भौतिक मूल्यों को भी महत्व दिया है। मूल्य वे हैं जो हमारे लिए वांछनीय हैं। सत्र की अध्यक्षता प्रो. एके चटर्जी ने की। दूसरे सत्र के मुख्य वक्ता प्रो. अजीत नारायण त्रिपाठी कहा कि पुन: निर्माण का अर्थ सामाजिक, राजनीतिक एवं सांस्कृतिक परिवर्तन से है। बेहतर समाज निर्माण के लिए अपना 'समाज दर्शन' विकसित करना होगा। राष्ट्र निर्माण के लिए व्यक्ति के चरित्र का शुद्ध होना आवश्यक है। धर्म प्रधान दृष्टि का अर्थ नैतिकता है। अध्यक्षता प्रो. एलएन शर्मा, स्वागत विभागाध्यक्ष प्रो. श्रीप्रकाश पांडेय, संचालन डा. सच्चिदानंद मिश्र व धन्यवाद ज्ञापन प्रो. डीबी चौबे ने किया। प्रो. डीएन तिवारी, प्रो. मुकुल राज मेहता, प्रो. डीए गंगाधर, डा. ग्रेस डार्लिग, डा. जयंत उपाध्याय, डा. अनूपपति तिवारी आदि ने विचार व्यक्त किए।