सूर्य
उत्तरायण का उल्लास
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संक्रांति का अर्थ
है- संक्रमण अर्थात एक स्थान से दूसरे स्थान पर जाना। भारतीय ज्योतिषशास्त्र के
अनुसार सूर्य जिस दिन एक राशि से दूसरी राशि में संक्रमण करता है, उस दिन संक्रांति
होती है। जब सूर्य धनु राशि से मकर राशि में प्रवेश करता है तो ‘मकर संक्रांति’ कहलाती है। इस दिन
से सूर्य की गति उत्तरायण हो जाती है। धर्मशास्त्रों के अनुसार सूर्य के
उत्तरायण होने पर शुभ कार्य आरंभ हो जाते हैं। पुराणों में मकर संक्रांति को देवताओं
का सुप्रभात व उत्तरायण को देवताओं का दिन कहा गया है। मकर संक्रांति से सूर्य
की किरणों धीरे-धीरे ऊर्जावान होने लगती हैं-‘मकरे प्रखरो रवि:’। हमारे
धर्मशास्त्रकार प्रत्येक पर्व के लिए विशेष नियम बनाते समय आयुर्विज्ञान, ऋतुविज्ञान व
पर्यावरण विज्ञान सभी के नियमों का विशेष ध्यान रखते थे। इसी के तहत संक्रांति
के दिन गंगास्नान व सविता देवता की उपासना के उपरान्त उड़द की खिचड़ी व तिल, गुड़ से बने
पदार्थो का दान व सेवन का विधान बनाया गया। इस दिन प्रात:काल गंगा, गंगासागर आदि पावन
तीर्थो में स्नान, पूजा, दान आदि को शुभफल देने वाला माना गया है। गंगातट पर घृत, कंबल, खिचड़ी, तिल आदि का दान
विशेष पुण्यकारी माना गया है। प्राचीन काल में मकर संक्रांति के अवसर पर प्रयाग
तथा हरिद्वार में विराट धर्म सम्मेलन होते थे। देश के कोने-कोने से विद्वान यहां
आकर धार्मिंक व सामाजिक समस्याओं पर विचार-विमर्श करते थे। राजस्थान में इस दिन
सधवा स्त्रियां तिल और मोतीचूर के लड्डू सास को देकर, उना आशीर्वाद लेती
हैं। महाराष्ट्र में विवाहिताएं प्रथम संक्रांति पर सौभाग्यवती स्त्रियों को दान
देती हैं। गुजरात में बाल-वृद्ध सभी पतंग उड़ाते हैं। पंजाब में इससे एक दिन
पहले लोहड़ी का पर्व मनाया जाता है। असम में मकर संक्रांति के अवसर पर ‘माघ बीहू’ मनाया जाता है
जिसमें समाज के सभी वर्ण जाति के व्यक्ति इकट्ठे होकर खेत में उगा अन्न ईर को
अर्पित करते हैं तथा सबके कल्याण की प्रार्थना करते हैं। असम में इस मौके पर
बीहू गीत-नृत्य यहां की विशेष धरोहर है। बंगाल में मकर संक्रांति पर ‘बंगमाता’ उत्सव मनाया जाता
है। यहां भी तिल का दान दिया जाता है। तमिलनाडु में संक्रांति पर पोंगल मनाते
हैं। इस पर्व पर गंगा स्नान,
ऋतु के अनुकूल आहार से शारीरिक मानसिक
स्वास्थ्य लाभ होता है। सत्पात्र को उचित दान दे दाता के धन का सदुपयोग होता है।
इस प्रकार यह पर्व व्यक्तिगत व सामाजिक जीवन दोनों के लिए महत्वपूर्ण है। इस
पर्व पर सूर्यदेव मानव जीवन में ऊष्मा और गति का संचार करें। सबको ओज और तेज
दें।
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