मां-बाप की गोद को बच्चों को पहली पाठशाला माना जाता है. वे बच्चों को सिर्फ संस्कारित और शिक्षित नहीं करते, बल्कि जीवन के यथार्थ से भी परिचित कराते हैं. लेकिन अब जमाना बदल गया है. अब मां- बाप की बातें नयी पीढ़ी को बेमतलब लगती हैं. उनकी हर बात फालतू लगती है. लेकिन, उन्हें मां-बाप की बात तब समझ में आती है जब उनके अपने बच्चों को उनकी बात बेमतलब लगने लगती है.