अनुशासन

जिंदगी में सफलता पाने के लिए सपने देखना तथा लक्ष्य निर्धारित करना बहुत जरूरी है। हमारे नए-नए सपने होते है तथा बड़े-बड़े लक्ष्य। इन लक्ष्यों को पूरा करने के लिए सबसे अधिक जरूरी है आत्म अनुशासन। अनुशासन का मतलब है अपने व्यक्तिगत निखार की लगातार कोशिश।
हमारी आधी जिंदगी भाग्य पर तथा आधी जिंदगी अनुशासन पर निर्भर होती है। यदि हमने अनुशासन नहीं सीखा तो भाग्य शायद ही हमारी कोई मदद कर पाए। आपने सफलता के हजारों सूत्र पढ़े होंगे, लेकिन आत्म अनुशासन के बगैर एक भी काम नहीं करता।
यदि हम महान व्यक्तियों के जीवन का अध्ययन करें तो पायेंगें कि उनकी सफलता के पीछे आत्म अनुशासन ही था। आत्म अनुशासन से आप अपनी बुद्धि तथा ज्ञान का पूरा-पूरा सदुपयोग कर सकते हैं और लक्ष्य पा सकते हैं।
हम अपने आपको कैसे अनुशासित करें हमारे वेद हमें सिखाते हैं।
अथर्ववेद का यह अंश
सप्त मर्यादा: कवयस्ततक्षुस्तासामिदेकामभ्यं हुरो गात् आयोर्ह स्कम्भ उपमस्य नीडे पथां विसर्गे धरूणेषु तस्थौ आत्म अनुशासन के लिए वेद हमें सात तरह के व्यवहार के बारे में बताते हैं, जो भी इन सातों अनुशासन के सूत्रों के अनुसार जीवन व्यतीत करते हैं उनके लिए जीवन में कुछ भी पाना मुश्किल नहीं रह जाता तथा वे महान लोगों की श्रेणी में शामिल हो जाते हैं।
वेदों द्वारा बताई गई सात व्यवहार/मर्यादायें हैं
1. चोरी न करना
2. कामुकता से दूर रहना
3. हिंसा से दूर रहना
4. अनावश्यक गर्भपात न कराना
5. दुराचार से दूर रहना
6. झूठ न बोलना
7. मदिरा आदि का पान न करना
अनुशासन में रहना हमारी मजबूरी भी है, क्योंकि यदि हम स्वयं को अनुशासित नहीं रखेंगे तो हमारा समाज हमें अनुशासन में रहना अवश्य सिखाएगा।