एशिया के सबसे अमीर मुकेश अंबानी की सफलता
के पीछे उनके पिता धीरुभाई अंबानी की दी हुई
सीख है। धीरूभाई के सिखाए इन कारोबारी गुरों को मुकेश अंबानी अपने कारोबार में
लेकर आए, जिन्हें ध्यान में रखकर उन्होंने अपने
कारोबार को बड़ा किया है। आइए जानते हैं मुकेश अंबानी ने अपने पिता की किन बातों
को कारोबार में आगे रखा..
कारोबार में आइडिया होता है सुप्रीम
रिलायंस ग्रुप के चेयरमैन मुकेश अंबानी अपने पिता धीरूभाई अंबानी की ये बात हमेशा याद रही है कि यह वर्ल्ड सिर्फ आइडिया के दम पर भी आगे बढ़ता है। पहले सिर्फ सरकारें समाज में बदलाव लाती थीं, फिर कारोबारियों ने बदलाव शुरू किया और अब यह काम स्टाार्टअप कर रहे हैं। यानी एक छोटा आइडिया भी आपकी डेली रूटीन लाइफ से लेकर दूनिया को बदलने का माद्दा रखता है।
रिलायंस ग्रुप के चेयरमैन मुकेश अंबानी अपने पिता धीरूभाई अंबानी की ये बात हमेशा याद रही है कि यह वर्ल्ड सिर्फ आइडिया के दम पर भी आगे बढ़ता है। पहले सिर्फ सरकारें समाज में बदलाव लाती थीं, फिर कारोबारियों ने बदलाव शुरू किया और अब यह काम स्टाार्टअप कर रहे हैं। यानी एक छोटा आइडिया भी आपकी डेली रूटीन लाइफ से लेकर दूनिया को बदलने का माद्दा रखता है।
हमेशा सीखते रहो
धीरूभाई अंबानी ने कहा था कि रिलायंस की उम्र हमेशा 30 रखना। यानी, अपने अंदर हमेशा सीखने की भूख को डेवलप करते रहना। यानी 30 तक की उम्र ऐसी होती है जब आपके अंदर हमेशा सीखते रहने की सोच बनी रहती है।
धीरूभाई अंबानी ने कहा था कि रिलायंस की उम्र हमेशा 30 रखना। यानी, अपने अंदर हमेशा सीखने की भूख को डेवलप करते रहना। यानी 30 तक की उम्र ऐसी होती है जब आपके अंदर हमेशा सीखते रहने की सोच बनी रहती है।
मुकेश अबांनी ने एक इंटरव्यू के दौरान बताया कि जब उन्होंने कंपनी
ज्वाइन की थी तब रिलायंस कंपनी 18 करोड़
रुपए की थी। पहले ही साल में 1.8 करोड़
रुपए का आईपीओ लेकर आए थे। अब उन्हें कारोबार में 40 साल से अधिक हो गया है। उन्होंने हमेशा सीखते रहने के जज्बे को
अपने अंदर जिंदा रखा है।
नेक्स्ट जनरेशन के साथ कनेक्ट रहो
मुकेश अंबानी के मुताबिक उन्होंने अपने पिता से काफी कुछ सीखा है। मुकेश अंबानी अपने कई इंटव्यू में बता चुके हैं कि उनके पिता उन्हें पार्टनर की तरह ट्रीट करते थे। जब मुकेश अंबानी 14 साल के थे, तब धीरूभाई अंबानी ने उन्हें कहा था कि वह अंडर ट्रेनिंग नहीं है, बल्कि उनके पार्टनर हैं और ये कंपनी उनकी जिम्मेदारी है।
मुकेश अंबानी के मुताबिक उन्होंने अपने पिता से काफी कुछ सीखा है। मुकेश अंबानी अपने कई इंटव्यू में बता चुके हैं कि उनके पिता उन्हें पार्टनर की तरह ट्रीट करते थे। जब मुकेश अंबानी 14 साल के थे, तब धीरूभाई अंबानी ने उन्हें कहा था कि वह अंडर ट्रेनिंग नहीं है, बल्कि उनके पार्टनर हैं और ये कंपनी उनकी जिम्मेदारी है।
मुकेश अंबानी ने अपने बच्चों ईशा और आकाश अंबानी के साथ भी कारोबार
में ट्रेनी की जगह पार्टनर वाला ही रिश्ता रखा है। पार्टनरशिप वाले रिश्ते के
अच्छे रिजल्ट उन्हें अपने कारोबार के नए वेंचर में भी नजर आया है।
कारोबार में हिस्ट्री बनाते रहो
आप अपनी जिदंगी में ऐसे काम करें कि लोग आपके जाने के बाद भी आपके किए गए काम को याद रखें। अपना व्यवहार अच्छा रखें और नेगेटिविटी न लाएं। जैसे अगर ‘इसने काम किया है, अच्छा नहीं किया होगा।’ ये न सोचें। कारोबार में पॉजिटिविटी के साथ काम करते रहे।
आप अपनी जिदंगी में ऐसे काम करें कि लोग आपके जाने के बाद भी आपके किए गए काम को याद रखें। अपना व्यवहार अच्छा रखें और नेगेटिविटी न लाएं। जैसे अगर ‘इसने काम किया है, अच्छा नहीं किया होगा।’ ये न सोचें। कारोबार में पॉजिटिविटी के साथ काम करते रहे।
कारोबार में कस्टमर होता है बॉस
कारोबार में कस्टमर हमेशा बॉस होता है। कभी भी कारोबार में ऐसा मत करो कि कस्टमर को नुकसान उठाना पड़े या उसे परेशानी हो। मुकेश अंबानी को धीरूभाई अंबानी की ये सीख हमेशा याद रही है कि कस्टमर के हित का ध्यान पहले रखना है।
कारोबार में कस्टमर हमेशा बॉस होता है। कभी भी कारोबार में ऐसा मत करो कि कस्टमर को नुकसान उठाना पड़े या उसे परेशानी हो। मुकेश अंबानी को धीरूभाई अंबानी की ये सीख हमेशा याद रही है कि कस्टमर के हित का ध्यान पहले रखना है।
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