कुरान को संस्कृत में और गीता को उर्दू जुबान में लाएंगे नसीर
शुक्रवार, 29 नवंबर 2013
VaranasiUpdated @ 5:42 AM IST
वाराणसी।
तुलनात्मक धर्मदर्शन विभाग में सर्वाधिक अंकों से आचार्य की परीक्षा पास करने वाले
पंजाब के मोहम्मद नसीर उल हक अब हिंदू-मुसलमान के बीच की दूरियां मिटाने के लिए
धर्मग्रंथों का अनुवाद करेंगे। इस उपलब्धि के लिए उन्हें रविवार को महामहिम ने
संपूर्णानंद संस्कृत विश्वविद्यालय स्वर्णपदक प्रदान किया। इस दौरान राज्यपाल ने
नसीर उल से अलग-अलग धर्मों की दूरियों की वजह पूछी तो उनका कहना था कि सभी धर्म एक
ही रास्ते पर ले जाते हैं। सिर्फ लोगों की सोच अलग-अलग है जो उनके अनुयायियों में
दूरी बना देती है।
राज्यपाल
ने नसीर से पूछा कि धर्म से कहा अलग-अलग हैं क्या ?। नसीर ने बताया कि धर्म अगल नहीं, सोच अलग-अलग है। लोग अलग-अलग चल रहे हैं। ऊपरवाले को मानने के तरीके
जुदा हैं। मुख्य अतिथि सुप्रीमकोर्ट के सेवानिवृत्त न्यायदीश मुकुंदकाम शर्मा भी
नसीर की बातें सुनकर बेहद खुश नजर आए। उन्होंने इस युवा की पीठ थपथपाई। पंजाब के
कादियान शहर के निवासी नसीर ने का कहना है कि वे धर्मों के बीच आपस की दूरियां
मिटाने के लिए काम करेंगे। उनकी ख्वाहिश संस्कृत में कुरान का अनुवाद करने की है, ताकि संस्कृत भाषी भी कुरान के संदेशों
से परिचित हो सकें। गीता को उर्दू में अनुवादित कर दूरियां मिटाने का प्रयास
करेंगे।
साभार अमरउजाला