सफलता
एक आदमी अपने बेटे के साथ किसी रास्ते से गुजर रहा था। राह में उन्होंने सड़क किनारे कुछ हाथियों को देखा। हाथी वहां चुपचाप खड़े पेड़ों की पत्तियां खा रहे थे। तभी बालक की नजर हाथियों के पैरों पर पड़ी।

वह यह देखकर आश्चर्यचकित रह गया कि हाथियों के पैरों में एक पतली-सी रस्सी बंधी है। उसने अपने पिता से पूछा - 'पिताजी, क्या हाथी रस्सी नहीं तोड़ सकते? पिता बोले - 'बिलकुल तोड़ सकते हैं। पर तुमने यह सवाल क्यों पूछा? इस पर बेटे ने हाथी के पैरों की ओर इशारा किया।

उसके पिता भी यह देखकर हतप्रभ रह गए कि हाथी उस रस्सी के बंधन को तोड़ने का कोई यत्न नहीं कर रहे हैं, जबकि वे चाहते तो उसे तोड़कर आसानी से कहीं भी जा सकते थे। इसके बाद उन दोनों ने पास खड़े महावत से पूछा - भाई, तुमने इन हाथियों को कैसे काबू में किया, जो ये इस पतली-सी रस्सी से बंधने पर भी शांतिपूर्वक खड़े हैं? ये चाहें तो इसे आसानी से तोड़ सकते हैं।

तब महावत ने कहा - आपका कहना सही है। पर मैं जानता हूं कि ये इन रस्सियों को तोड़ने की कोशिश नहीं करेंगे। दरअसल इन हाथियों को इनके बचपन में ऐसी रस्सियों के सहारे बांधा जाता है, जिसे ये तोड़ न सकें। ये उसे बार-बार तोड़ने की कोशिश करते हैं, पर नाकाम होते हैं। धीरे-धीरे इनके मन में यह बात बैठने लगती है कि वे इन बंधनों को नहीं तोड़ सकते।

इसके साथ-साथ उनके रस्सी तोड़ने के प्रयासों में भी कमी आने लगती है। इस तरह बड़े होने पर भी उनका यह यकीन बना रहता है, इसलिए बाद में हम रस्सी पतली भी कर दें, तब भी ये उसे तोड़ने का प्रयास नहीं करते। कथा का सार यह है कि इन हाथियों की तरह हममें से कितने ही लोग पहले मिली असफलता के कारण यह मान बैठते हैं कि अब हमसे ये काम नहीं हो सकता और अपनी ही बनाई हुई मानसिक जंजीरों में जकड़े-जकड़े पूरा जीवन गुजार देते हैं तथा आगे सफलता के लिए प्रयत्न ही नहीं करते।

याद रखें, असफलता जीवन का एक हिस्सा है और निरंतर प्रयास करने से ही सफलता मिलती है। यदि आप भी ऐसे किसी बंधन में बंधे हैं, जो आपको अपने सपने सच करने से रोक रहा है तो उसे तुरंत तोड़ डालिए। मानसिक बेड़ियों की जकड़ से मुक्त हो आप सफलता के नए सोपान तय कर सकते हैं।