आत्मबल एक ऐसा गुण है जो हमारे पुरुषार्थ को जाग्रत रखता है। यह गुण मुश्किल क्षणों में ऊर्जा का श्रोत साबित होता है। आत्मबल हमें हर बुराई और विघ्न-बाधाओं से बचाता है। कहते हैं कि मरणासन्न शरीर में भी नवजीवन का संचार कर दे, ऐसी अमृत बूंद है-आत्मबल। सच तो यह है कि जहां कोई प्राणी हमारा सहायक नहीं होता वहां हमारा आत्मबल हमें सहारा देता है। यह हमें न सिर्फ दृढसंकल्पी और साहसी बनाता है, बल्कि जीवन-संग्राम में जीतने की अदम्य इच्छाशक्ति भी प्रदान करता है। यह हमें न सिर्फ अच्छे कर्म करने की ओर प्रेरित करता है, बल्कि हमें प्रतिकूल परिस्थितियों से निकलने की हिम्मत भी देता है। यह हमारा ऐसा बलवान साथी है, जो जीवन के घनघोर अंधेरे से भी हमें बाहर निकाल सकता है। आत्मबल जिसका साथी है वह कभी कमजोर नहीं पड़ता। हार की निराशा उनके दिलों पर राज नहीं कर पाती। ऐसे लोग अपने आत्मबल की वजह से देश और दुनिया पर राज करते हैं। इसके विपरीत आत्मबलहीनता बहुत ही खतरनाक रोग है, जो हमें कमजोर ही नहीं करता, बल्कि दूसरों के समक्ष दब्बू भी बना देता है। इसलिए हमें इससे बचना चाहिए और अपने आत्मबल को बरकरार रखना चाहिए। आत्मबल से ओत-प्रोत व्यक्ति किसी भी प्रतिकूल परिस्थिति को अपने अनुरूप बदल देने की साम‌र्थ्य रखता है। आत्मबल मानव में सात्विक गुणों का विकास कर उसे स्वयं को ईश्वर के प्रति समर्पित कर देने के लिए साहस बंधाता है और ईश्वर की ओर उन्मुख करता है। आत्मबल का औचित्य भी इसी में है कि व्यक्ति ईश्वरोन्मुख हो जाए।

परिस्थिति चाहे कैसी भी हो, हम सबको हरदम आत्मबल के माध्यम से आगे बढ़ने का प्रयास करते रहना चाहिए। समस्याओं और परेशानियों से कतई घबराना नहीं चाहिए। हम यदि इन समस्याओं पर विजय पा लेंगे तो हमारा आत्मविश्वास बढ़ेगा और हमें आत्मसंतुष्टि भी प्राप्त होगी। किसी समस्या को भार या परेशानी समझना हमारी कायरता है, जो हमें असफलता के पथ की ओर उन्मुख करती है। यदि हम परेशानियों और समस्याओं पर हमला कर उनके सम्मुख डटे रहेंगे, तब हमारी आर्थिक और नैतिक उन्नति अवश्य होगी। हम जीवन की सामान्य स्थिति से ऊपर उठ जाएंगे और सब लोग हमें पहले से कहीं ज्यादा आदर-सम्मान देंगे। समस्या के वक्त हमें धैर्य और साहस से कार्य लेना चाहिए।


[लाहिड़ी गुरुजी]