अच्छाई देखें, खुश रहें

जब भी हम निराशा के सागर में डूबने लगें, हमें उसमें छिपी हुई आशा को तलाशना चाहिए। बुरे पक्ष के बजाय अच्छे पक्ष पर ध्यान कें द्रित करने से ही हम प्रसन्न रह सकते हैं..
मशहूर लेखक डेनियल डेफो के उपन्यासों के एक पात्र 'रॉबिन्सन क्रूसो' की एक शिक्षाप्रद कहानी है। वह एक रेतीले द्वीप पर फंस गया और उसे जिंदा रहने के लिए रास्ता ढूंढना था। जब वह द्वीप पर था, उसने दो सूचियां बनाई। एक को वह 'अच्छी' कहता था और दूसरी को 'बुरी'। वह अपने साथ घटित हो रही बातों को एक या दूसरी सूची में लिखने लगा। उसने लिखा- 'मैं इस सुनसान द्वीप पर फंसा हुआ हूं, जो कि बुरा है पर मैं जीवित हूं जो कि अच्छा है। जहाज पर जितने अन्य व्यक्ति थे, वे मर गए, पर मैं बच निकला। मैं बिल्कुल अकेला हूं, जो कि बुरा है। पर मैं भूखा नहीं मर रहा हूं, जो कि अच्छा है।' उसने आगे लिखा, 'जानवरों से अपनी रक्षा करने के लिए मेरे पास कोई हथियार नहीं है, जो कि बुरा है। पर समुद्र के किनारे यहां कोई जंगली जानवर नहीं है, जो अच्छा है।'
अपनी सूची बना लेने के बाद रॉबिन्सन क्रूसो ने यह फैसला किया कि कोई भी परिस्थिति इतनी खराब नहीं होती कि उसमें इंसान को प्रभु का कृतज्ञ होने का कोई भी कारण न मिले। हर किसी परिस्थिति में एक आशा की किरण रहती है। यह मनोवृत्ति सही है और इससे बहुत सा समय चिंता, उदासी, निराशा या तनाव में बीतने से बचता है।
हम अपनी परिस्थिति पर खीजने और शिकायत करने में अपना बहुमूल्य समय नष्ट कर देते हैं। दो व्यक्ति एक ही पार्टी में जाते हैं। एक अपना समय वहां उपस्थित सभी व्यक्तियों में और भोजन में गलतियां ढूंढने में लगा देता है, वह असंतुष्ट रहता है। वहीं, दूसरा व्यक्ति लोगों से मिलकर खुश होता है और व्यंजनों का आनंद उठाता है। दोनों एक ही वातावरण में हैं। एक कमियां देख रहा है, दूसरा अच्छाई। वे दोनों पार्टी से जाएंगे तो एक कहेगा कि उसे बुरा लगा, जबकि दूसरा कहेगा कि उसे बहुत मजा आया। पार्टी के अंत में कौन अधिक प्रफुल्लित और खुशहाल महसूस करेगा?
इसी तरह जीवन में हम अनेक परिस्थितियों का सामना करते हैं। हम चुनाव कर सकते हैं कि हम बुराइयों को देखें और अपना समय निराशा में गुजार दें या फिर हम अच्छाइयों पर अपना ध्यान दें और उनसे खुशी और आनंद पाएं।