जीवन की महक
हमारी नकारात्मकता हमें सभी संबंधों से दूर कर देती है और हम अकेले पड़ जाते हैं, जबकि सकारात्मकता हमें जिन रिश्तों से जोड़ती है, वे हमारे जीवन को महका देते हैं...
एक ऐसा संसार, जहां राक्षस रहते हैं। हमारे संसार से बहुत उन्नत। उनके लोग धरती के बच्चों के सपनों में आते हैं। उन्हें डराकर चीखने पर मजबूर करते हैं। उनकी चीख से जो ऊर्जा निकती है, उसे इकट्ठा करके अपने लोक में ले जाकर उससे बिजली बनाते हैं। राक्षसों के उस संसार में बिजली का श्चोत धरती के बच्चों की चीखें है।
एक बार एक छोटे राक्षस को धरती के बच्चों के सपनों में घुस कर उन्हें डराने की जिम्मेदारी मिलती है, लेकिन वह बच्चों को डराना नहीं चाहता। वह धरती के बच्चों के पास आता तो है, लेकिन इस काम को अंजाम नहीं देता। इसके लिए उसे राक्षस लोक में सजा मिलती है। मजबूरी में वह अपने काम को फिर अंजाम देने आता है।
एक बच्चे के सपने में घुस कर डराने की कोशिश में वह बच्चे को हंसा देता है। बच्चा नींद में हंसता है और उसकी हंसी से जो ऊर्जा निकलती है, उसे अपने लोक तक ले जाता है। हंसी की ऊर्जा देखकर उसके अधिकारी नाराज होते हैं। तमाम तकलीफों के बाद आखिर वह सभी को समझा पाने में कामयाब हो जाता है कि उसे ऊर्जा लाने से मतलब है। अगर वह हंसा कर लाए तो किसी को क्या तकलीफ? वह धरती पर फिर आता है। बच्चों के सपनों में आकर उनसे एक प्यारा सा रिश्ता कायम करता है। बच्चे उसे देख कर खुश होते हैं, और नींद में ही जोर-जोर से हंसने लगते हैं।
राक्षस लोक में जब उस ऊर्जा का परीक्षण होता है, तो सचमुच हंसी से निकली ऊर्जा चीख की तुलना में निकली ऊर्जा से ज्यादा कारगर थी।
यह मॉनस्टर इंक नाम की हॉलीवुड फिल्म की कहानी है, जो यह संदेश देते हुए खत्म होती है कि राक्षसों का संसार नकारात्मक बिजली की जगह सकारात्मक बिजली पाने के प्रयास में जुट जाता है। यह भले ही बच्चों के लिए बनाई गई हो, लेकिन बड़ों के लिए यह ज्यादा काम की है। यह बताती है कि जब हम कोई काम अच्छे मन से करते हैं तो उसका फल अच्छा मिलता है। जब हम कोई काम बुरे मन से करते हैं, तो उसका फल बुरा मिलता है। सकारात्मक होकर जब हम रिश्तों के तार दूसरों से जोड़ते हैं, तो उसका सकारात्मक असर होता है, जो हमारे जीवन को महका देता है।
जो व्यक्ति अपने अहं और अपनी श्रेष्ठता का गुलाम होता है, वह एक दिन इस संसार में अकेला रह जाता है। दुनिया के किसी तानाशाह की कहानी पढ़ लीजिए, उसकी जवानी चाहे जितनी हसीन रही हो, बुढ़ापा बहुत तन्हा रहा। अकेलेपन का दंश बेहद दुखद होता है। अपने टूटते रिश्तों को अगर आपने आज नहीं जोड़ा तो देर हो जाएगी। जोड़ लीजिए उन सबसे अपने रिश्तों के तार, जिनसे आपने अपनी नकारात्मक ऊर्जा के कारण टूटने दिया है। ढूंढ़ने चलेंगे तो हर चीज में बुराई है। मत ढूूंढि़ए बुराई।
सकारात्मक ऊर्जा से बनी बिजली से अपने घर को रोशन तो करके देखिए। फिल्म में राक्षसों ने तो पहचान लिया था सकारात्मक और नकारात्मक ऊर्जा का फर्क। हम कब पहचानेंगे?
साभार दैनिकजागरण