रोज सुबह
उठे, नित्य कर्म किए, नाश्ता किया और भागे ऑफिस की तरफ। इस रोजाना की भाग-दौड़
में जिंदगी कब पीछे छूट जाती है पता ही नहीं चलता है। एक दिन या तो कोई गंभीर
बीमारी हमें अपना शिकार बना लेती है और हम मरने का इंतजार करने लगते हैं या फिर
रिटायर हो जाते हैं। इसके बाद भी मरने का ही इंतजार रह जाता है। इस आपाधापी में
बच्चे कब बड़े हो गए, पत्नी के बालों में सफेदी आ गई और घर की दीवारों के रंग
कितनी बार बदल गए, कुछ खबर
नहीं होती है।
यही हाल था अमेरिकी लेखक, प्रोफेसर और पोलिटिकल जर्नलिस्ट नॉरमन कजिन्स का जब उन्हें
पता चला कि उनके पास सिर्फ 6 महीने
हैं जीने के लिए। उन्हें समझ में आ गया था कि तनाव और गुस्से ने आज उन्हें मौत
के मुंह में पहुंचा दिया है। उन्हें जो बीमारी हुई है उसमें बचने की संभावना 500 : 1 की होती है। दिन यूं ही बीत रहे थे।
एक दिन उन्होंने सोचा कि अगर गुस्सा और तनाव से मेरा यह हाल हो सकता है, तो जिंदादिली भी कुछ असर जरूर करेगी।
नॉरमन कजिन्स |
यह ख्याल
आते ही उन्होंने खुद के साथ एक प्रयोग करना तय किया। उन्हें जिंदादिली का जो
एकमात्र हथियार पता था, वो था
हंसने का। उन्होंने बिना देर किए कुछ कॉमेडी फिल्मों की रील, जोक्स की किताब और अपने परिवार के साथ ज्यादा से ज्यादा समय बिताने का
फैसला किया। उनका पूरा दिन अब साथियों के साथ चुटकुले और हंसी-मजाक में, कॉमेडी फिल्में देखने में बीतने लगा। इस तरह वो बिलकुल भूल गए कि उन्हें
कोई बीमारी भी है।
उन्हें
जो बीमारी थी उसकी वजह से उन्हें इतना दर्द होता था कि वह रात को सो नहीं पाते
थे। लेकिन जब से उन्होंने अपने स्टाइल में लाफ्टर थेरेपी शुरू की थी, तब से 10 मिनट हंसने से ही उन्हें दर्द में
काफी राहत मिलती थी और वह रात को चैन से सो जाया करते थे। इस तरह न सिर्फ वह अपनी
बीमारी से पूरी तरह उबर सके, बल्कि 20 साल और सेहतमंद जिंदगी काटी। उन्होंने अपनी इस यात्रा के बारे में एनाटमी
ऑफ इलनेस किताब में बताया है। उन्होंने अपने अंदर एक विश्वास को जगाया और इसी के
सहारे न सिर्फ अपनी जिंदगी का सबसे मुश्किल समय बिताया, बल्कि जीतकर भी निकले।
नॉरमन कजिन्स के सफर की 4 अहम
बातें
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हम चाहे कितनी ही कोशिश कर लें, लेकिन सच्चाई से दूर नहीं हो सकते। हम सबकी जिंदगी का अंत निश्चित है।
मगर हंसते-मुस्कराते हुए जिंदगी जिएंगे तो कुछ अच्छी यादें लोगों के बीच छोड़
पाएंगे।
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हमारी हंसी हमारे जिंदा होने का सबूत
है। अगर हमारी तबीयत ठीक नहीं है, तो हंसने
से हम जल्दी अच्छे हो सकते हैं। अगर हम पूरी तरह से स्वस्थ हैं तो हंसमुख
मिजाज हमारी सेहत को बरकरार रखने में मदद करता है।
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परिस्थिति चाहे जैसी भी हो, हमें खुद को हंसने की इजाजत देनी चाहिए। जब भी कुछ मजेदार लगे, तो दिल खोल कर जोर से हंसिए। आपके आसपास के लोगों को यह अजीब लग सकता है, मगर जल्द ही वे भी इसके फायदे समझने लगेंगे।
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हंसमुख मिजाज जीवन में आने वाले मुश्किल
समय से लड़ने की ताकत देता है। सफलता भी उसी के कदम चूमती है जो मुश्किल समय में
टूटता नहीं, डटकर खड़ा रहता है। मंजिलें भी ऐसे
लोगों का रास्ता देखती हैं।