एक बार
छोटे-छोटे मेंढकों ने एक लंबी टावर पर चढ़नी की दौड़ का आयोजन करने का मन बनाया।
लक्ष्य था टावर के सबसे ऊंचे प्वॉइंट पर पहुंचना। इस रेस को देखने के लिए कई लोग
टावर के आसपास इकट्ठा हो गए।
जैसे ही रेस शुरू हुई भीड़ में
किसी को भी यकीन नहीं था कि मेंढक ये काम कर पाएंगे और इसलिए उन्होंने मेंढकों को
चिढ़ाना शुरू किया। वो शोर मचाते हुए कहने लगे कि ये रेस कभी पूरी नहीं हो सकता, कोई भी ऊपर तक पहुंच नहीं पाएंगे। जैसे ही लोगों ने यह शोर
मचाना शुरू किया धीरे-धीरे एक के बाद एक मेंढक नीचे गिरने लगे। भीड़ ने और जोर से
चिल्लाना शुरू कर दिया कि ये रेस कभी कोई जीत नहीं सकता, ये मुमकिन ही नहीं है।
जहां एक के बाद एक मेंढक गिर
रहे थे, वहीं उन्में से एक ऐसा था जो चढ़ते
चला जा रहा था। लोगों के हतोत्साहित करने वाले शोर का उस पर कोई असर नहीं हुआ और
वो कड़ी मशक्कत के बाद टावर के ऊपर जा पहुंचा। जब बाकी मेंढकों ने जानना चाहा कि
उसने ऐसा कैसे किया तो उन्होंने पाया कि लक्ष्य पर पहुंचने वाला मेंढक असल में सुन
नहीं सकता था।
इस कहानी से आप यही सीख सकते
हैं कि जीवन में सफलता के रास्ते पर चलना है तो सबसे पहले उन लोगों को सुनना बंद
कर दें जो आपको सिर्फ निराश करते हैं या फिर नकारात्मक सोच रखते हैं। दूसरी बात ये
वहीं चीजें सुनें जो आपको अपने सपने पूरे करने के लिए प्रेरित करती हों क्योंकि जो
हम सुनते हैं उसी से मिलते-जुलते हमारे कार्य होते हैं।
सोशल मीडिया से