भूलना आसान है


आजकल आपको अपने प्रियजनों के फोन नंबर याद नहीं रहते। आप किसी से बात करते हुए किसी घटना का जिक्र करना चाहते हैं, पर घटना से संबंधित शहर या जगह का नाम आपके दिमाग से छिटक जाता है। कभी-कभी किसी को उसके नाम से बुलाना चाहते हैं, पर उसका नाम ही जुबान पर नहीं आता। 

फिर आप याददाश्त बढ़ाने के लिए मनोचिकित्सक की सलाह लेते हैं या फिर दवाइयों का सेवन शुरू कर देते हैं। इस संदर्भ में आनंदमय जीवन  किताब के लेखक रामचंद्र महेंद्र मानते हैं कि यदि आप अनंत सुख और अक्षय शांति की कामना करते हैं, तो कष्टप्रद बातों को भूलना सीखिए। रामचंद्र जी लिखते हैं कि यह दुनिया उसी की है, जिसने अपने सकारात्मक पक्ष को देख लिया है, जो दैवीय तत्वों में तन्मय रहता है और जिसने नकारात्मक विचारों से मुक्ति पा ली है। दुख, क्लेश, तिरस्कार, निंदा से मुक्त होने के लिए 'भूलना' अमोघ औषधि है। 

इसलिए पीड़ा की ओर से सदैव के लिए आंखें बंद कर लेना बेहतर है। मन को नकारात्मक विचारों से मोड़कर अच्छी बातों पर केंद्रित करना चाहिए। जिन विचारों से आपका जीवन सुखमय बनता है, उन्हीं को हृदय में प्रवेश करने दें। एक ओर बाहरी जगत में लगातार संघर्ष चलता रहता है, तो वहीं दूसरी ओर हर वस्तु व इंसान में अक्षय शांति निवास करती है। शायद जिन्हें आप बुरा समझते हो, संभव है कि उनका हृदय परम पवित्र हो। आपकी धारणा गलत हो। ऐसे में जरूरी है कि आप दूसरे के दोषों को भूलना सीखें और उनके व्यक्तित्व के सुंदर व कल्याणकारी गुणों को याद रखें। 

ओशो के अनुसार, पुरानी चीजों को छोड़ने या भूलने से जिंदगी सहज बन जाएगी। यह सच है कि जिंदगी को पूरी तरह दर्दरहित नहीं बनाया जा सकता है। मुश्किलों से मुक्त या दर्द रहित जिंदगी की आशा रखना ही गलत है। इसलिए चुनौतियों से लड़ना सीखिए, यही जिंदगी की वास्तविकता है।

साभार हिदुस्तान