Bakasana |
बकासन (Bakasana) योग आसन एक ऐसा आसन है जिसे खुशहाली और हमेशा जवां (youthfulness)
बने रहने का एशियाई प्रतीक माना जाता है। चीन के लोग इस आसन को लंबी
उम्र का प्रतीक मानते हैं। यह आसन स्त्री और पुरुष दोनों के लिए समान रूप से
फायदेमंद होता है लेकिन स्त्रियों के शरीर को छरहरा बनाने में यह महत्वपूर्ण
भूमिका निभाता है। पेट और पीठ की मांसपेशियों एवं भुजाओं को मजबूत बनाने के लिए
बकासन योग सर्वोत्तम आसन माना जाता है। हालांकि यह आसन करने में व्यक्ति को थोड़ी
कठिनाई जरूर होती है लेकिन एक बार शरीर का संतुलन बनने के बाद इसका अभ्यास आसानी
से किया जा सकता है।
बकासन योग क्या है –
बकासन संस्कृत के दो शब्दों बक (Baka) और आसन (Asana) से मिलकर बना है, जहां बक का अर्थ बक या बगुला (Crane)
और आसन का अर्थ मुद्रा ( Posture) है। इस आसन
को करते समय बगुले की तरह पैर उठाकर शरीर का संतुलन बनाया जाता है इसी कारण इसे
बकासन कहा जाता है। बकासन से मिलता जुलता योग मुद्रा ककासन (Kakasana) है, दोनों में बिल्कुल मामूली सी भिन्नता है लेकिन
फायदे एक जैसे होते हैं। हड्डियों एवं मांसपेशियों सहित शरीर के विभिन्न विकारों
को दूर करने के लिए लोगों के बीच यह आसन बहुत लोकप्रिय है।
बकासन करने का तरीका –
आमतौर पर यह माना जाता है कि
बकासन एक कठिन मुद्रा है इसलिए इस आसन का अभ्यास करने से पहले इसे करने के तरीके
के बारे में सही जानकारी प्राप्त कर लें इसके बाद ही आसन का अभ्यास करें। बकासन
करने का सही तरीका इस प्रकार है।
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सबसे पहले फर्श पर ताड़ाशन मुद्रा में अर्थात् एकदम
सीधे खड़े हो जाएं।
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इसके बाद नीचे झुकते हुए अपनी दोनों हथेलियों को
खोलकर जमीन पर रखें। उंगलियां आगे की ओर सीधी और खुली होनी चाहिए और कोहनी हल्की
सी झुकी होनी चाहिए।
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इसके बाद अपनी भुजाओं को झुकाएं और जितना संभव हो सके
अपने घुटनों को फर्श पर आर्मपिट (armpits) के पास लाने की कोशिश करें।
·
अपने घुटनों को अपनी भुजाओं से हल्का सा दबाएं और
पैरों की उंगलियों को जमीन से ऊपर उठाने की कोशिश करें।
·
इसके बाद अपने कूल्हों को ऊपर की ओर उठाएं और भुजाओं
पर शरीर का संतुलन बनाने की कोशिश करें।
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गर्दन को सीधा रखते हुए उसी क्रम में अपने सिर को भी
लाएं। सामने देखें और किसी एक जगह ध्यान केंद्रित करें।
·
एक प्वाइंट पर ध्यान केंद्रित करने के बाद जब शरीर का
संतुलन बन जाए तब अपने पैरों को जितना संभव हो सके एक दूसरे के नजदीक लाएं।
·
इसके बाद सिर्फ हथेलियों पर पूरे शरीर का भार टिकाकर
दोनों पैरों को हवा में उठाएं और शरीर का संतुलन हथेलियों पर बनाए रखें।
·
आपके कूल्हे भी ऊपर की ओर उठे हुए होने चाहिए।
·
सामान्य रूप से सांस लेते हुए 15 से 20 सेकेंड तक इसी मुद्रा में बने रहें और फिर धीरे-धीरे अपनी वास्तविक पोजीशन
में लौट आयें।
इस मुद्रा को कम से कम चार बार दोहराएं।
बकासन करने के फायदे –
चूंकि
इस आसन को करने में पूरे शरीर एक साथ शामिल होता है इसलिए शरीर के सभी अंगों को इसका
लाभ पहुंचता है। बकासन करने से व्यक्ति के अंदर आत्मविश्वास तो पैदा होता ही है
साथ में वह भावनात्मक रूप से भी मजबूत होता है। इसके अलावा बकासन करने के अन्य
फायदे निम्न हैं।
·
बकासन के फायदे
मानसिक मजबूती के लिए: प्रतिदन निर्धारित
समय पर बकासन करने से व्यक्ति शारीरिक एवं मानसिक रूप से मजबूत होता है और वह हर
तरह की परेशानियों का सामना आसानी से कर सकता है। यह आसन करने से व्यक्ति में ऐसी
क्षमता विकसित होती है कि वह भावनात्मक रूप से कमजोर नहीं पड़ता है।
·
शरीर को लचीला
बनाने में बकासन के फायदे: बकासन करने से शरीर
की मांसपेशियां लचीली होती है जिससे व्यक्ति का शरीर आकर्षक दिखायी देता है। यह
आसन करने से कलाई और भुजाएं भी मजबूत होती हैं जिससे व्यक्ति को हाथों में आसानी
से चोट नहीं लगती है।
·
बकासन करने के
फायदे रीढ़ की हड्डी को टोन करने में: बकासन
करने से पीठ और पेट की मांसपेशियां सीधी अवस्था में हो जाती हैं। यह आसान रीढ़ की
हड्डी को टोन करने का कार्य करता है जिसके कारण हड्डी से जुड़े रोगों का खतरा कम
होता है।
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एकाग्रता बढ़ाने
में बकासन योग के फायदे: चूंकि बकासन करते
समय पूरा भार हथेलियों पर रहता है इसलिए व्यक्ति पूरा ध्यान केंद्रित करके अपने
शरीर के भार को संभाले रखता है, तभी यह आसन पूरा होता है।
इसकी वजह से व्यक्ति की एकाग्रता बढ़ती है और वह अधिक केंद्रित होकर अपना काम करता
है।
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बकासन के फायदे
कूल्हे मजबूत होते हैं: विशेषरूप से
महिलाएं अपने कूल्हे की चर्बी कम करने के लिए तरह-तरह के उपाय करती हैं। यह आसन
करने से कूल्हों पर जमा अतिरिक्त फैट घटता है और कूल्हे मजबूत और आकर्षक होते हैं।
·
संतुलन: यह शरीर को संतुलित करने में मदद एवं
इसको विकसित करता है।
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कंधे की मजबूती: यह कंधे के विकारों को दूर करते हुए
कंधे को मजबूत बनाने में मदद करता है।
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ह्रदय: यह हृदय गति को भी सुचारू बनाता है।
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छाती के लिए: यह छाती को मजबूत बनाते हुए फेफड़े के
लिए बेहतरीन योगाभ्यास है।
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हाथों की मजबूती के लिए: इसके नियमित अभ्यास से
आपके हाथों को बल मिलता है और बाहों को विकार रहित बनाता है।
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बच्चों के लिए उत्तम आसन: इस आसन का प्रैक्टिस
बच्चों को करवानी चाहिए जिससे बच्चों में सोचने समझने की शक्ति बढ़ जाती है।
वकासन की सावधानी
1.
उच्च
रक्तचाप होने पर इस आसन को नहीं करनी चाहिए।
2.
हृदय
रोग से ग्रस्त व्यक्तियों को यह आसन नहीं करना चाहिए।
3.
कंधे
मे ज़्यदा दर्द होने पर इस आसन का अभ्यास नहीं करनी चाहिए।
4.
इस
आसन को करने के लिए जल्दबाजी नहीं करनी चाहिए।
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