व्यक्ति
को सकारात्मक नजरिए की आदत जितनी ऊंचाई तक ले जाती है, उतनी ही ऊंचाई तक कोई भी दूसरी आदत नहीं लेकर जाती
है। यानि अपने मन में हमेशा यह विश्वास करना चाहिए कि जीवन में आपके साथ कुछ बुरा
नहीं, बल्कि सब अच्छा ही होगा। इसके लिए खुद से हमेशा यह
कहना होगा कि "मैं असफल नहीं, सफल होने जा रहा हूं।'
हम एक या दो बार असफलता मिलने पर प्रयास छोड़कर ही बैठ जाते हैं।
हमारे दिमाग में यह इस तरह बैठ जाता है कि हम उस बारे में सोचना भी छोड़ देते हैं।
इसके विपरीत अगर हम अपनी कोशिशें जारी रखें तो हमें सफल होने से कोई नहीं रोक सकता
है। यही बात हमारी आज की कहानी में भी बताई जा रही है।
एक प्रयोग में एक रिसर्च बायोलॉजिस्ट ने एक बड़े से टैंक में शार्क
मछली को रखा और फिर उसी टैंक में छोटी मछलियों को भी डाल दिया। शार्क ने छोटी
मछलियों को खाना शुरू कर दिया और कुछ ही घंटों में सभी छोटी मछलियां शार्क का आहार
बन चुकी थीं। हर बार यही होता। बायोलॉजिस्ट ने अब अपने प्रयोग में थोड़ा परिवर्तन
किया और एक मजबूत फाइबर स्लाइड को उस टैंक में डाल कर टैंक को दो भागों में बांट
दिया। एक भाग में शार्क और दूसरे भाग में छोटी मछलियों को रखा। आदतन शार्क ने छोटी
मछलियों पर हमला करना चाहा तो वे उस स्लाइड से टकरा गईं। शार्क ने प्रयास नहीं
छोड़ा और हमला करती रही।
यह प्रयोग कुछ हफ्तों तक जारी रहा। शार्क ने हमला करना जारी रखा, लेकिन उसके प्रयास में लगातार कमी आती गई। फिर एक
समय ऐसा आया कि शार्क ने यह मान लिया कि वह छोटी मछलियों को नहीं खा सकती। उसने
प्रयास करना ही छोड़ दिया। बायोलॉजिस्ट ने अब फाइबर की स्लाइड को वहां से हटा
दिया। लेकिन यह क्या, शार्क को तो इससे कोई फर्क हीं नहीं
पड़ा। उसने यह मान लिया था कि एक दीवार है, एक अवरोध है,
जिसे वह पार नहीं कर सकती। उसने प्रयास करना ही छोड़ दिया अब छोटी
मछलियां आराम से उसी टैंक में तैर रहीं थी और उसे शार्क से कोई खतरा भी नहीं था।
हममें से कई लोगों के साथ अक्सर ऐसा होता है। हम प्रयास करना ही छोड़ देते हैं। कोई रुकावट नहीं होने के बावजूद हमें ऐसा लगता है कि अवरोध है, जिसे पार नहीं किया जा सकता। यकीन मानिए, अगर किसी चीज को पाने के लिए हम ईमानदारी से लगातार प्रयास जारी रखते हैं, तो वह हमें जरूर मिलती है .
सोशल मीडिया से