मंजिल की ओर बढ़ते कदमों को संघर्ष के
डर से रोकना समझदारी नहीं होती है। कई बार लोग रास्ते में आने वाली रुकावटों से
घबराकर अपना रास्ता बदल देते हैं। ऐसे में वह न सिर्फ अपनी मंजिल से दूर हो जाते
हैं, बल्कि उनका
आत्मविश्वास भी हिल जाता है। कई बार ऐसे लोग जीवन में कभी मुश्किल फैसला नहीं ले
पाते हैं। शीर्ष पर पहुंचने वाले हर शख्स ने जीवन में कभी न कभी कोई मुश्किल जरूर
देखी होगी। लगभग हर सफल इनसान का कहना है कि मुश्किलें इनसान को मजबूत बनाती हैं।
यकीन नहीं आता तो इस कहानी को पढ़ लीजिए
एक बार एक मूर्ति बनाने वाला जंगल की
तरफ जा रहा था, उसने देखा की रास्ते में एक पत्थर पड़ा हुआ है। मूर्तिकार ने सोचा की यह
पत्थर मूर्ति बनाने के लिए बहुत अच्छा है। लिहाजा उसने जैसे ही मूर्ति बनाने के
लिए पत्थर पर पहला प्रहार किया, पत्थर से आवाज़ आई, नहीं-नहीं मुझे मत काटो मुझे छोड़ दो, मुझ पर इन
औजारों से प्रहार मत करो। मूर्तिकार ने सोचा, चलो इस पत्थर
को छोड़ देते हैं और वो आगे बढ़ गया। आगे मूर्तिकार को एक बड़ा सा पत्थर मिला,
मूर्तिकार ने सोचा यह पत्थर मूर्ति बनाने के लिए अच्छा है।
मूर्तिकार ने लगभग एक महीने की लगन और मेहनत से एक बड़ी ही खुबसूरत मूर्ति बनाई।
लेकिन जब वह उस मूर्ति को ले जाने लगा तो वह बहुत भारी थी, मूर्तिकार
ने सोचा क्यों ना पास के गांव से 4-5 लोगों को बुला कर लाया
जाए।
मूर्तिकार जब पास के गांव में गया, तो लोगों ने उससे एक मूर्ति बनाने का
आग्रह किया। मूर्तिकार ने कहा की मूर्ति तो तैयार है, जंगल
में पड़ी है। गांव के लोग मूर्तिकार के साथ गए और मूर्ति को ससम्मान ले आए और बड़े
ही धूम-धाम से गांव के मंदिर में उस मूर्ति की स्थापना की। जब मूर्तिकार जाने लगा
तो गांव वालों ने उससे एक आग्रह और किया। उन्होंने कहा कि हमें मंदिर के बहार
नारियल फोड़ने के लिए एक पत्थर की और जरूरत है। मूर्तिकार को उस पत्थर की याद आई
जिसे वो जंगल में ही छोड़ आया था, मूर्तिकार ने गांव वालों को
उस पत्थर के बारे में बताया और गांव वालों ने उस पत्थर को नारियल फोड़ने के लिए
मन्दिर के सामने रख दिया|
एक दिन उस पत्थर ने मूर्ति से पूछा की हम दोनों एक ही जंगल में थे पर फिर भी क्यों लोग तुम्हारी पूजा करते हैं और मेरा उपयोग नारियल फोड़ने के लिए करते हैं। मूर्ति ने कहा की उस दिन अगर तुम मूर्तिकार का पहला प्रहार सह लेते तो आज तुम्हारी भी यहीं पूजा हो रही होती।
एक दिन उस पत्थर ने मूर्ति से पूछा की हम दोनों एक ही जंगल में थे पर फिर भी क्यों लोग तुम्हारी पूजा करते हैं और मेरा उपयोग नारियल फोड़ने के लिए करते हैं। मूर्ति ने कहा की उस दिन अगर तुम मूर्तिकार का पहला प्रहार सह लेते तो आज तुम्हारी भी यहीं पूजा हो रही होती।
इस कहानी से हमें यह सीख मिलती है
·
जब हमारे सामने मुश्किलें आएं तो हमें यह समझना चाहिए
कि नियति हमें बड़े लक्ष्य के लिए तैयार कर रही है।
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ऐसी परिस्थिति में हमें मुश्किलों से हार नहीं माननी
चाहिए और धैर्य से काम लेते हुए आगे बढ़ते रहना चाहिए।
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थोड़ी सी परेशानी से घबराने से हम हाथ आए सुनहरे अवसर
को गंवा देते है और जीवनभर उसके लिए पछताते रहते हैं।
सोशल मीडिया से