अरस्तू ने एक शिष्य द्वारा उन्नति का मार्ग
पूछे जाने पर उसे पाँच बातें बताई।
• अपना
दायरा बढ़ाओ, संकीर्ण स्वार्थ परता से आगे बढ़कर
सामाजिक बनो।
• आज
की उपलब्धियों पर संतोष करो और भावी प्रगति की आशा करो।
• दूसरों
के दोष ढूँढ़ने में शक्ति खर्च न करके अपने को ऊँचा उठाने के प्रयास में लगे रहो।
• कठिनाई
को देख कर न चिन्ता करो न निराश होओ वरन् धैर्य और साहस के साथ उसके निवारण का
उपाय करने में जुट जाओ।
• हर
किसी में अच्छाई खोजो और उससे कुछ सीख कर अपना ज्ञान और अनुभव बढ़ाओ। इन पाँच
आधारों पर ही कोई व्यक्ति उन्नति के उच्च शिखर पर पहुँच सकता है।
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