अपनी
मंजिल पर पहुंचने से पहले अगर हम हार मान ले रहे हैं, तो हम सचमुच हार गए। लेकिन अपनी मंजिल के लिए जब जूझते हैं, बार-बार गिर कर खड़े होते हैं तो हमारा आत्मविश्वास कई गुना
बढ़ जाता है। इसके बाद जब मंजिल मिलती है, तो उसकी
खुशी कई गुना होती है। इसलिए आपकी जीत या हार को कोई और तय नहीं कर सकता है। यह
खुद आपके ऊपर निर्भर करता है। यही बात इस कहानी में भी बताई गई है।
एक शहर में राहुल नाम का एक
लड़का रहता था जो जीवन में हार मान चुका था। वह जिंदगी में जो कुछ भी करता था, उसको अपनी हार पहले ही नजर आ जाती थी। स्कूल में अध्यापक और
अन्य विद्यार्थी भी उसकी मजाक उड़ाते थे। वह अंधेरे कमरे में अक्सर रोता रहता था।
एक दिन उसकी सिसकियां सुनकर एक
अंधा आदमी उसके पास आया और पूछा, ‘तुम
क्यों रो रहे हो’। राहुल ने उस आदमी को सारी बात बताई।
यह सुनकर वह आदमी जोर से हंसा और बोला, तुम्हें
पता है, ‘जब मैं पैदा हुआ और लोगों ने देखा कि
इस बच्चे की तो आंखें ही नहीं है, तो
उन्होंने मेरे माता-पिता को मुझे मार देने की सलाह दी’। लेकिन मेरे माता-पिता ने उन लोगों की सलाह नहीं मानी।
उन्होंने मुझे एक विशेष स्कूल
में भेजा और मुझे पढ़ाया-लिखाया। जब मैं कॉलेज में एडमिशन लेने गया तो कॉलेज
प्रशासन ने मेरा एडमिशन करने से मना कर दिया। फिर मैंने विदेशी विश्वविद्यालय का
फॉर्म भरा और एमआईटी की स्कॉलरशिप पर ग्रैजुएशन और पोस्ट ग्रैजुएशन की डिग्री ली| लेकिन जब मैं वापस आया तो फिर मुझे महसूस हुआ कि नेत्रहीन
होने के कारण मुझे कोई नौकरी नहीं देना चाहता। फिर मैंने अपनी कंपनी शुरू की।
इसलिए नहीं कि मेरे पास बहुत पैसा था या मेरे पास कोई अनोखा आईडिया था। मैंने
कंपनी इसलिए शुरू की क्योंकि मेरे पास और कोई चारा ही नहीं था। लेकिन आज मुझे खुशी
है कि आज मैं अपनी कंपनी के जरिए मेरे जैसे 5000 लोगों को
नौकरी दे पाया हूं।
आदमी की बात को सुनकर राहुल ने
पूछा आप की कहानी से मेरा क्या वास्ता? वह आदमी
बोला, जैसे आज लोग तुम्हारी हंसी उड़ाते हैं, वैसे ही जिंदगी भर लोगों ने मेरी भी निंदा की, मेरा भी मजाक उड़ाया। लेकिन मैंने खुद को कभी कमजोर नहीं
समझा। जब दुनिया मुझे नीची नजरों से देखती थी और यह कहती थी कि तुम जिंदगी में कुछ
नहीं कर सकते। तब मैं उनकी आंखों में आंखें डाल कर बोलता था कि मैं कुछ भी कर सकता
हूं। जैसे मैंने इतना सब कुछ किया वैसे ही तुम भी बहुत कुछ कर सकते हो। इसलिए
हिम्मत मत हारो। दुनिया क्या कहती है, इस बात
की परवाह मत करो।
इस कहानी से हमें यह सीख मिलती है :
- दुनिया आपको कैसे देखती है यह महत्वपूर्ण नहीं है, लेकिन आप खुद को कैसे देखते हैं, यह सबसे ज्यादा महत्वपूर्ण है।
- जीवन में जीत और हार आपकी सोच पर ही निर्भर करती है, मान लो तो हार है और ठान लो तो जीत है।
- दुनिया आपको कैसे देखती है यह महत्वपूर्ण नहीं है, लेकिन आप खुद को कैसे देखते हैं, यह सबसे ज्यादा महत्वपूर्ण है।
- जीवन में जीत और हार आपकी सोच पर ही निर्भर करती है, मान लो तो हार है और ठान लो तो जीत है।
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