जिंदगी तेरी तमन्ना क्या है?


सारा जब नन्ही-सी बच्ची थी, तब उसके पास मासूम सवालों की भरमार थी और उनके जवाब तलाशने की मजबूत इच्छाशक्ति भी। खास बात यह थी कि वो उन सवालों को अपने मन की परतों में कैद करके नहीं रखती थी, बल्कि उनके जवाब तलाशने की कोशिश में तरह-तरह के प्रयोग भी करती थी। अलमारी से कपड़ों का ढेर बाहर निकालकर वह सिर्फ इसलिए फैला देती थी ताकि अलग-अलग तरह के कपड़ों को महसूस कर सके। बगीचे में उसे जो फूल पसंद आ जाता था, उस पौधे की जड़ तक सिर्फ यह जानने के लिए पहुंचती थी कि वह कितनी गहराई में है।

सारा ऊर्जा की खान थी। जिस चीज के प्रति उसकी रुचि जग जाती थी, उसे वह एक बार आजमाती जरूर थी। सारा से उसके माता-पिता ने यह जानने की कोशिश कभी नहीं की कि वह जैसा करती है, क्यों करती है? इसकी जगह उन्होंने अपनी नन्ही-सी बच्ची को अनुशासन में लाने की जरूरत समझी, ताकि वह भी दूसरे बच्चों जैसी बन जाए। फिर शुरू हुआ उसे समझने की कोशिश करने की जगह, डांटने, धमकाने और दूसरों जैसा बनाने का दौर। वहां मत जाओ! उसे मत छूओ! यह मत करो! तुम्हें खुद पर शर्म आनी चाहिए, सारा!

बार-बार सजा पाने से बचने के लिए सारा ने जल्द ही वो सभी काम करने बंद कर दिए, जो वो खुद के लिए करना चाहती थी। अब वह वो करने लगी, जो उसके माता-पिता चाहते थे। जैसे-जैसे सारा की उम्र बढ़ी, जिंदगी को जीने का यह तरीका-अपनी कीमत पर दूसरों को खुश करना-उसकी जिंदगी का हिस्सा बन गया। वह अपने मन के मुताबिक, अपनी खुशियों के अनुरूप चीजों को करना पूरी तरह से भूल गई।

क्या, ये सारी बातें आपको भी जानी-पहचानी सी मालूम पड़ रही हैं? बचपन में सारा को जिंदगी जीने का जो तरीका सिखाया गया, उस तरीके ने उसे खुद से, अपनी शर्तों पर कभी भी जिंदगी जीने की कला सीखने ही नहीं दी। आप भी अपने भीतर के बच्चे से यह सवाल जरूर पूछिए: क्या आप जानते हैं कि आप अपनी जिंदगी से क्या चाहते हैं?

क्या हैं आपकी चाहतें?

जिंदगी में सफलता पाने के लिए न सिर्फ यह जानना जरूरी होता है कि आप अभी कहां हैं, बल्कि कहां पहुंचना चाहते हैं, इस बात से भी वाकिफ होना जरूरी होता है। आपको यह कल्पना करनी होगी कि जब आप अपने लक्ष्य को प्राप्त करेंगे तो कैसा महसूस होगा। आपको सफलता से पहले उसके स्वाद की कल्पना करनी होगी। उसे महसूस करना होगा। उसे सुनना होगा। उसकी खुशबू सूंघनी होगी। पर अपने लक्ष्यों से पूरी तरह रू--रू हो पाना इतना भी आसान नहीं है। 

खुद को विस्तार देने की राह 

1- किसी भी कमतर चीज से समझौता करना बंद कीजिए। मुझे फर्क नहीं पड़ता, मुझे नहीं मालूम आदि जैसे जुमलों को जिंदगी से बाहर करें। निर्णय चाहे कितना भी छोटा क्यों न हो, शुरुआत अपने मुताबिक निर्णय लेने से करें। अपनी प्राथमिकता सामने रखें। अपनी राय रखें, किसी हिचक और पूर्वाग्रह के डर के बिना।

2-
अगर यह तय करने में परेशानी हो रही है कि जिंदगी में क्या हासिल करना चाहते हैं, तो क्यों न एक की जगह तीस ऐसी चीजों को चुनें? एक कागज लें और उस पर वह सब लिखें, जो आप करना चाहते हैं। ऐसा करके कल्पना शक्ति को विस्तार मिलेगा। आप जानेंगे कि बहुत कुछ है, जो आपको खुशी दे सकता है। 

3-
अपने एक दोस्त को घर बुलाएं और उसे लगभग 10 से 15 मिनट तक आपसे एक सवाल पूछने के लिए बोलें, 'तुम जिंदगी से क्या चाहते हो?' इस बातचीत को रिकॉर्ड करें। इसका जवाब देते समय आपको पता लगेगा कि क्या चीज आप चाहते हैं और क्या दूसरे। आप संतुलन का रास्ता निकालने की ओर कदम बढ़ाएंगे।

4-
क्या आप भी अपनी मर्जी के मुताबिक जिंदगी इसलिए नहीं जी पा रहे हैं कि उन जरूरतों को पूरा कैसे करेंगे? इस दुविधा से निकलने के लिए 20 ऐसी चीजों की सूची बनाएं, जो आप किसी भी तरीके से करना चाहते हैं। अब ऐसी राहों पर कदम बढ़ाएं, जो आपके कामों के नजदीक हों, उन तक ले जाती हों। 

तीन नियम

1- मन: अजीब हैं हम, जिसे देखते हैं उसे झूठ मान लेते हैं। जो नहीं दिख रहा वह सच बन जाता है। दुनिया की चालाकी पर इतना यकीन है कि हम न किसी को प्यार करते हैं और न किसी पर विश्वास। मदर टेरेसा कहती हैं, 'यदि लोगों को समझने में ही समय व्यर्थ कर दिया तो आपके पास इतना समय नहीं बचेगा कि आप उन्हें प्रेम कर सकें।' 

2-
वचन: अच्छा लगता है जब कोई तारीफ करता है। आसान नहीं होता ऐसे लोगों से दूर होना या फिर उन्हें गलत ठहराना, जो सही-गलत हर बात पर आपकी तारीफ करते हैं। लेकिन चाणक्य कहते हैं, 'चापलूसी करने वाले से सदा बचे रहें। ऐसा व्यक्ति बड़ा भारी चोर होता है। वह आपको मूर्ख बनाकर आपका समय भी चुराता है और बुद्धि भी।' 

3-
काया: खूबसूरती की बातें करते हुए हमारा सारा गणित चेहरे और कद-काठी तक सिमट कर रह जाता है। फिर न हम खुद को माफ करते हैं और न दूसरों को। टेनिस खिलाड़ी सेरेना विलियम्स खुद पर पुरुष की तरह कद-काठी होने की टिप्पणियों पर कहती हैं, 'मैं अपने शरीर से खुश हूं। मुझे इस पर गर्व है, आखिरकार इसने ही मुझे इस लायक बनाया है।

 जैक कैनफील्ड, अमेरिका के प्रसिद्ध लेखक व मोटिवेशनल स्पीकर। 'चिकन सूप फॉर सोल' शृंखला के सह-लेखक हैं। 'जीवन में आत्मसम्मान' उनका प्रिय विषय है। 



साभार हिदुस्तान