इंसान
जिंदगी में आगे बढ़ने के लिए बहुत मेहनत करता है। लेकिन जब वह सफल नहीं हो पता है
तो निराश हो जाता है और मेहनत करना छोड़ देता है। इस बात को अगर दूसरे नजरिए से
देखा जाए तो हमारे जीवन में आने वाली असफलताएं हमें तजुर्बा देती हैं और गलतियां
करने से बचाती हैं। इसलिए इंसान को कभी मायूस नहीं होना चाहिए, उसे मेहनत करते रहना चाहिए। एक दिन ऐसा आएगा कि मेहनत का फल
सफलता में बदल जाएगा। ऐसी ही कहानी है रोहित की।
रोहित ने बड़े उत्साह से
परीक्षा की तैयारी की। इसके बावजूद वह टॉप नहीं कर पाया और वह बहुत उदास व निराश
रहने लगा। असफलता के गम में उसने पहले की तरह प्रयास करना छोड़ दिया। रोहित की इस
परेशानी का पता जब उसके अध्यापक को पता लगा, जो उसके
मार्गदर्शक थे तो उन्होंने एक दिन उसे अपने घर बुलाया। उन्होंने रोहित से परेशानी
की वजह पूछी। रोहित ने उन्हें बताया की ‘उसने दिन
रात मेहनत की पर जैसा वो चाहता था वैसे नतीजे नहीं आए इसलिए वो हताश हो चुका है।
रोहित की बात सुनने के बाद
अध्यापक ने उसे अपने साथ बगीचे में चलने के लिए कहा। वो उसे टमाटर के पौधों के पास
ले गए और बोले की इस टमाटर के इस खराब और मरे हुए पौधे को देखो।जब मैंने इस पौधे
को बोया था तो मैंने इसे समय-समय पर सही मात्रा मे पानी दिया, खाद भी डाली और कीटनाशक का छिड़काव भी किया, पर फिर भी यह खराब हो गया। तो क्या?, रोहित बोला। इतनी सारी मेहनत, इतना पैसा और समय देने के बाद भी अगर जैसा रिजल्ट हम चाहते हैं वो
न मिल पाए तो इतना सब कुछ करने से क्या फायदा है।
अध्यापक बोले ऐसा नहीं है और
उन्होने एक दरवाजे की तरफ इशारा करते हुए कहा की एक बार जरा इस दरवाजे को खोल कर
देखो। रोहित ने दरवाजे को खोला और देखा की सामने बड़े-बड़े टमाटरों के ढेर पड़े
हुए थे। उसने पूछा की, ये सब
कहां से आए?
अध्यापक बोले, टमाटर के एक पौधे के खराब होने का मतलब यह नहीं है कि सभी
पौधे खराब हो गए। इसी तरह तुमने मेहनत तो की पर टॉप नहीं कर पाए लेकिन इसका मतलब
यह नहीं है की तुम्हारी दिन रात की मेहनत खराब गई और तुम असफल हो गए।
परीक्षा देते समय कई चीजें
मायने रखती हैं,
जिसमें लिखने की स्पीड, तबीयत, मनोस्थिति
और भी बहुत कुछ जो सिर्फ मेहनत का पैमाना नहीं है। जो तुमने सीखा वो जिंदगी के हर
मोड़ पर काम आएगा । मेहनत करने के बावजूद मनचाहा न मिलने का मतलब यह नहीं है की आप
असफल हो गए। इसका मतलब है की आपने सफलता तक पहुचने की एक और सीढ़ी चढ़ी है।
सीख
- आज हार हुई है, तो कल जीत भी हो सकती है। हार के गम में सुधार की कोशिश छोड़ देना समझदारी नहीं होती है।
- निराश होने की जगह ये सोचना चाहिए कि हमसे कहां चूक हुई है।
- रेस में लंबे समय तक बने रहना है तो तेज दौड़ने से ज्यादा फोकस देर तक दौड़ने पर करना चाहिए।
- आज हार हुई है, तो कल जीत भी हो सकती है। हार के गम में सुधार की कोशिश छोड़ देना समझदारी नहीं होती है।
- निराश होने की जगह ये सोचना चाहिए कि हमसे कहां चूक हुई है।
- रेस में लंबे समय तक बने रहना है तो तेज दौड़ने से ज्यादा फोकस देर तक दौड़ने पर करना चाहिए।
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