हारने वालो के पास कई हज़ार बहाने होते है लेकिन जीतने वाले के पास
बस एक वजह होती है जो उसे जीत दिलवाती है।
एक बार
हंगरी की आर्मी में एक शूटर था करौली जो उस देश का सबसे बहतरीन शूटर था सारे देश
को उससे उम्मीद थी की 1940 में होने
वाले ओलंपिक्स में करौली ही गोल्ड मैडल जीतेगा। लेकिन फिर एक हादसा हुआ और करौली
के उसी हाथ में एक बम फट गया जिससे उसका हाथ बुरी तरह से खराब हो गया और डॉक्टर्स
ने कहा अब वो शूटिंग नही कर सकता। करौली अपने लक्ष्य से बस 2 साल दूर था उसको अपने पर पूरा विश्वास था की वो जरूर जीतेगा
पर उसकी किस्मत ने उसे हराना चाहा लेकिन वो हारा नहीं।
उस हादसे के 1 महीने बाद ही उसने अपने दूसरे हाथ से शूटिंग की प्रैक्टिस
शुरू कर दी उसे दुनिया का बेस्ट शूटर बनना था और उसके लिए अब उसके पास उसका लेफ्ट
हैंड ही बचा था। उसने कुछ ही समय में अपने लेफ्ट हैंड को बेस्ट हैंड बना लिया। उन
दिनों हंगरी में एक शूटिंग कॉम्पिटिशन हुआ वहा देश के सारे शूटर आये थे वहां करौली
भी गया और बाकी शूटर उसकी हिम्मत की दात देने लगे की कुछ महीनों पहले उसके साथ
हादसा हुआ और फिर भी वो बाकि शूटर्स का हौसला बढ़ाने आ गया। लेकिन वो तो वहां पर
उनके साथ कॉम्पिटिशन करने गया था वो भी अपने लेफ्ट हैंड से और उस कॉम्पिटिशन को
अंत में करौली ने जीता।
2 सालों में अपने लेफ्ट हैंड को इस लायक
बना लिया की वो आने वाले ओलंपिक में भाग ले सके। लेकिन 1940 में होने वाले ओलम्पिक गेम दूसरे
विश्व युद्ध के चलते रद्द कर दिए गए पर करौली बहुत निराश हुआ। लेकिन उसने अपनी
हिम्मत नहीं तोड़ी और 1948 में अपने
देश को गोल्ड मैडल दिलवाया।
सोशल मीडिया से