उसने पिता से पूछा- 'पिताजी! यह प्रतिमाएँ काल्पनिक हैं अथवा ऐसा स्वास्थ्य कभी
संभव हो सकता है?"
पिता ने बड़े आत्मा विश्वास के
साथ कहा- "हाँ-हाँ, संसार
में संभव क्या नहीं है, यदि तुम
भी नियमित व्यायाम ओर परिश्रम करो, संयमी ओर
निरालस्य बन सको तो ऐसा ही स्वास्थ्य क्यों नहीं प्राप्त कर सकते।"
बात सैंडो के मन में बैठ गई।
पिछली खराब जिंदगी का चोला उसने उतार फेंका ओर नियमपूर्वक व्यायाम ओर कठोर श्रम
करना प्रारंभ कर दिया। फलस्वरूप वह एक प्रख्यात बलवान बना। उसने व्यायाम की अनेक
विधेय भी निकाली,
जिन्हें सैंडो की कलाएं कहा जाता है।
सोशल मीडिया से